शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2015

सफाई के मायने

­­­­­­सफाई के मायने
02/10/2015, नई दिल्ली। आज देश के दो महापुरुषों का जन्मदिवस है। आधुनिक भारत के वर्तमान स्वरूप का निर्माण करने में इनका महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। अहिंसा के पुजारी गांधी जी और जय जवान-जय किसान के प्रणेता पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जयंती पर शत्-शत् नमन। 2014 में केंद्र में नई सरकार आने के बाद महात्मा गांधी के जयंती को स्वच्छता से जोड़ कर देखा जाने लगा है। सरकार ने स्वच्छता के लिए अभियान चलाया है और भारत को स्वच्छ और निर्मल बनाने की योजना बनाई है। लेकिन केवल सरकारी योजनाओं से क्या भारत स्वच्छ हो पायेगा? जवाब नही में है। भारत के अधिकांश नागरिकों का सफाई के प्रति सरोकार बहुत कम है या नही के बराबर है। खुले में शौच करना, कूड़ा इधर-उधर फेंकना या बिखेरना, यत्र-तत्र थूकना और मलबों का सही तरीके से निपटारा नही करना जैसे अनेक कारण है जिसके वजह से भारत में सर्वत्र गंदगी देखने को मिलती है। इस गंदगी की वजह से अनेकों समस्या या बीमारियां पैदा होती है।

पेशे से इंजीनियर मेरे पिताजी हमेशा एक बात कहा करते थे औऱ वो है सफाई और सच्चाई में ईश्वर का वास होता हैइस बात से उनका आशय था कि समाज में यदि सफाई और सच्चाई हो तो ईश्वर वहीं वास करते हैं। कबीर भी कहा करते थे कि - "साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप। जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै आप।।" इसका अर्थ है - "सच्चाई के समान कोई तप नही और झूठ के समान कोई पाप नही। जिसके अंदर सच्चाई है उसके अंदर ईश्वर का वास है।" इंसान का सच्चा होना बहुत जरूरी है। इंसान अगर सच्चा नही होगा तो समाज सच्चा नही होगा और अगर समाज सच्चा नही होगा तो ईमानदार कैसे होगा?
समाज में सफाई का मतलब बहुत व्यापक है। सफाई सिर्फ बाहरी नही अंदरूनी भी होनी चाहिए। सबसे पहले हमें सफाई की शुरूआत अपने अंदर से करनी होगी। जबतक हम अपने अंदर के कचरे को साफ नही करेंगे तब तक बाहर कितनी भी सफाई कर लें बदलाव नही आने वाला। अपने अंदर से लोभ, मोह, ईष्या और द्वेष जैसे कचरे को साफ कर हम स्वस्थ मनुष्य बन कर स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं। कबीर के दोहे के को याद कीजीए जरा - "नहाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाय। मीन सदा जल में रहै, धोये बास न जाय।।" मतलब आप समझ सकते हैं।
इसके बाद हमें अपने आसपास के माहौल को साफ करने की जरूरत है। इसके लिए हमें शुरूआत अपने घर से करनी होगी। घर में आमतौर पर लोग किसी खास पर्व-त्यौहार के समय सफाई पर ज्यादा जोर देते हैं। लेकिन हमें इसे अपनी आदत में शामिल करना होगा। दैनिक जीवन में भी सफाई का उतना ही महत्व है जितना किसी व्रत-त्यौहार के समय। अगर घर में सफाई ना हो तो परिवार के सदस्य स्वास्थ नही हो सकते और स्वस्थ परिवार ना हो तो स्वस्थ समाज का निर्माण कैसे हो सकता है। स्वच्छ समाज नही होगा तो वातावरण स्वच्छ कैसे होगा? इस वजह से आसपास के वातावरण को भी स्वच्छ रखना स्वस्थ समाज के निर्माण के लिये उतना ही महत्वपूर्ण है। इस तरह हम स्वस्थ वातावरण का निर्माण कर पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं।
आज पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पूरी दुनिया एकजुट होकर खड़ी है। पर्यावरण में बदलाव आज एक चुनौती के रूप में मानव जाति के सामने खड़ा है। इस बदलाव की वजह से समय पर मौसम में उचित बदलाव नही होना, कभी कम तो कभी ज्यादा बारिश की वजह से खेती-बाड़ी पर पड़ रहे कुप्रभाव ने अर्थव्यवस्था पर बेहद बुरा असर डाला है। देश में अनाज की मंहगाई इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस तरह के प्रभाव की वजह से आम-जन के जीवन पर जो असर पड़ रहा है उसके लिए जिम्मेदार कोई और नही हम हैं। तो मैं आप सब से एक ही बात कहना चाहुँगा कि स्वच्छ समाज का निर्माण कीजीए। इसके लिए पहले कीजीए अपने अंदर की सफाई, फिर कीजीए घर और आसपास के वातावरण की सफाई और ऐसा करके आप अपनी स्थिति कैसे बदलेंगे इसके गवाह आप स्वंय होगें।      

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें